RBI Repo Rate: मोदी सरकार के बाद मिडल क्लास को अब RBI का बड़ा फैसला

RBI Repo Rate: हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025-26 का आम बजट पेश कर दिया है. इस बार सरकार ने मिडिल क्लास के लिए कई बड़ी घोषणाएं की है. जिसमें मिडल क्लास के लिए सबसे बड़ी राहत यह है, कि अब 12 लाख रुपये तक की सालाना आय टैक्स फ्री होगी. इस फैसले से लाखों करदाताओं को बडी राहत मिल चुकी है.

इस बीच अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भी अपनी दरों में कटौती करेगा या नहीं. दरसल आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 5 से 7 फरवरी के बीच होने वाली है, जिसमें रेपो रेट को लेकर फैसला किया जाएगा.

रेपो रेट क्या है और इसमें कटौती क्यों जरूरी है?

रेपो रेट यानी ऐसा ब्याज दर, जिस पर RBI बैंकों को अल्पकालिक लोन देता है. अगर RBI इस दर को कम करता है, तो बैंकों को सस्ता लोन मिलता है. इससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ब्याज दरें घटती है.

अगर रेपो रेट घटता है तो लोन की ईएमआई कम होगी, बाजार में नकदी बढ़ेगी, और बिजनेस और इंडस्ट्री को सस्ती फंडिंग प्राप्त होगी.

क्या बजट के बाद रेपो रेट में कटौती होगी?

कुछ विशेषज्ञों के अनुसार अब बजट में मिडिल क्लास और बिजनेस सेक्टर को राहत मिलने के बाद RBI भी अपनी दरों में कटौती कर सकता है. इसके कुछ प्रमुख कारण निचे दिए है.

  • हाल के महीनों में खुदरा महंगाई दर (CPI) कम हुई है, अगर महंगाई नियंत्रण में रहती है, तो RBI रेपो रेट में कटौती करने की संभावना है.
  • सरकार ने बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर और कैपिटल खर्च बढ़ाने पर जोर दिया है, अगर ब्याज दरें कम होती हैं, तो इंडस्ट्री को सस्ती फंडिंग मिलेगी, जिससे अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ेगी.
  • अमेरिका, यूरोप और अन्य बड़े देशों में भी ब्याज दरों में कटौती के संकेत मिल रहे है, अगर फेडरल रिजर्व (अमेरिकी सेंट्रल बैंक) दरें घटाता है, तो RBI भी ऐसा कर सकता है.

विशेषज्ञों की राय

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि RBI को 0.25% (25 बेसिस प्वाइंट) की कटौती करनी चाहिए. Angel One की अंकिता पाठक अनुसार महंगाई में गिरावट और ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए रेपो रेट में कटौती होनी चाहिए. इसके अलावा HDFC Securities के अजय बंसल के मुताबिक अगर फरवरी में कटौती नहीं हुई, तो अप्रैल की बैठक में 0.25% की कटौती संभव है.

अगर रेपो रेट घटता है तो किसे होगा फायदा होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ईएमआई कम होगी, मिडिल क्लास के पास अधिक बचत होगी, जिससे वे ज्यादा खर्च कर पाएंगे. साथ ही रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल सेक्टर में बढ़ावा होगा और व्यापारियों को सस्ती फंडिंग मिलेगी, जिससे बिजनेस बढ़ेगा.

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